शांत,मासूम
गहरी सी नदी थी वह लड़की
अपने अंदर खामोशियों के तूफ़ान छुपाये
अपने लफ़्ज़ों के तलातुम* में खुद ही उलझ जाए
कुछ गुमसुम सी
कुछ रूठी सी
उदास आँखों से हंसती
दर्द की एक तस्वीर थी वह लड़की
उसके पाऊँ में ज़ंजीर थी
कुछ समाजो की
कुछ रिवाजो की
कुछ अपनों की
कुछ परायों की
वह रोज़ एक जंग खुद से लड़ती
और रोज़ हार जाती
शिकस्त के ज़ख़्म थे कुछ
जीत का न तिलक कोई
बस थकन थी
वजूद की ..
और थी
शांत, मासूम गहरी नदी सी लड़की...
गहरी सी नदी थी वह लड़की
अपने अंदर खामोशियों के तूफ़ान छुपाये
अपने लफ़्ज़ों के तलातुम* में खुद ही उलझ जाए
कुछ गुमसुम सी
कुछ रूठी सी
उदास आँखों से हंसती
दर्द की एक तस्वीर थी वह लड़की
उसके पाऊँ में ज़ंजीर थी
कुछ समाजो की
कुछ रिवाजो की
कुछ अपनों की
कुछ परायों की
वह रोज़ एक जंग खुद से लड़ती
और रोज़ हार जाती
शिकस्त के ज़ख़्म थे कुछ
जीत का न तिलक कोई
बस थकन थी
वजूद की ..
और थी
शांत, मासूम गहरी नदी सी लड़की...
Shaant, masoom,
Gehri si nadi thi woh ladki
Apne andar khamoshiyon ke toofan chhupaye
Apne lafzon ke talatum* me khud hi ulajh jaaye
Kuch gumsum si
Kuch roothi si
Udaas ankhon se hansti
Dard ki ek tasveer thi woh ladki
Uske paon me zanjeer thi
Kuch samajo ki
Kuch rivajo ki
Kuch rivajo ki
Kuch apno ki
Kuch parayon ki
Woh roz ek jang khud se ladti
Aur roz haar jaati
Shikast ke zakham the kuch
Jeet ka na tilak koi
Bas thakan thi
Wajood ki..
Aur thi
Shaant masoom gehri nadi si ladki..
*Bhanwar/ भंवर
Dedicated to a Dear Friend
Dedicated to a Dear Friend
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