वो जो एक हर्फ़ ए परेशान था
वो जिसका न कोई बयान था
वो जो हर दर्द का सामान था
वो जिसने दरबदर रखा था
वो जिसने रातों को बेक़मर रखा था
वो जिसका दिल में मकां था
वो जिसका कहीं न कोई निशान था
वो जिसने सुबह को नूर बख्शा था
वो जिसने आँखों को सुरूर बख्शा था
वो जो सबसे जुदा था
वो जिसका न कोई खुदा था
वो नादांन बड़ा बुरा था
वो नींद का व्यापारी था
वो आस का भिखारी था
वो ज़ात का शिकारी था
वो क़ायनात पर भारी था ...
मिटा दिया हमने
अब सफ़हा बिल्कुल सादा है
बस एक नुक़्ता है
और बेक़रारी है!
वो जिसका न कोई बयान था
वो जो हर दर्द का सामान था
वो जिसने दरबदर रखा था
वो जिसने रातों को बेक़मर रखा था
वो जिसका दिल में मकां था
वो जिसका कहीं न कोई निशान था
वो जिसने सुबह को नूर बख्शा था
वो जिसने आँखों को सुरूर बख्शा था
वो जो सबसे जुदा था
वो जिसका न कोई खुदा था
वो नादांन बड़ा बुरा था
वो नींद का व्यापारी था
वो आस का भिखारी था
वो ज़ात का शिकारी था
वो क़ायनात पर भारी था ...
मिटा दिया हमने
अब सफ़हा बिल्कुल सादा है
बस एक नुक़्ता है
और बेक़रारी है!
وہ جو اک حرف پریشان تھا
وہ جس کا نا کوئی بیان تھا
وہ جو ہر درد کا سامان تھا
وہ جس نے در بدر رکھا تھا
وہ جس نے راتوں کو بیقمر رکھا تھا
وہ جسکا دِل میں مکان تھا
وہ جسکا کہیں نا کوئی نشان تھا
وہ جس نے صبحوں کو نور بخشا تھا
وہ جس نے آنکھوں کو سرور بخشا ہے
وہ جو سب سے جدا تھا
وہ جسکا نا کوئی خدا تھا
وہ نادان بڑا برا تھا
وہ نیند کا بیوپاری تھا
وہ آس کا بھکاری تھا
وہ ذات کا شکاری تھا
وہ کائنات پر بھری تھا
مٹا دیا ہم نے . . . .
اب صفحہ بالکل سادہ ہے
بس
اک نقطہ ہے
!اور بے قراری ہے
Wo jo ek harf e pareshan tha
Wo jis ka na koi bayan tha
Wo jo har dard ka saman tha
Wo jisne darbadar rakha tha
Wo jisne raato ko beqamar rakha tha
Wo jiska dil me makan tha
Wo jiska kahin na koi nishan tha
Wo jisne subho ko noor bakhsha tha
Wo jisne ankho ko suroor bakhsha hai
Wo jo sabse juda tha
Wo jiska na koi Khuda tha
Wo nadan bada bura tha
Wo neend ka byopari tha
Wo aas ka bhikari tha
Wo zaat ka shikari tha
Wo kayenaat par bhari tha
Mita diya humne....
Ab safha bilkul saada hai
Bas
Ek nukta hai
Aur
Beqaraari hai!