कुछ तो बाक़ी रह जाता है हर रोज़
रोज़ दिन के जलने से रात के बुझने तक
कुछ अधखुले दरवाज़ों पर अनकही दस्तकें
रोज़ क़दमों की आहट की आस
जो न टूटे न बिखरे
कुछ परिंदो के सफर के अफ़साने
रोज़ परिंदो के सफर न ख़तम हों
न अफ़साने कभी भस्म हों
कुछ तुमको रोज़ भूल कर
रोज़ थोड़ा थोड़ा याद करें
यादों के आईने की धूल को थोड़ा सा साफ़ करें
कुछ आंसू बिन बहे सिमटे रहें
रोज़ एक नमी सी रहे आँखों में
एक तबस्सुम सा रहे होंठों पे
कुछ मोहब्बतें मिलें हर रोज़
रोज़ कुछ रुस्वाइयाँ भी
कुछ मिंली बेहिस सी तन्हाईयाँ भी
कुछ मसले न सुलझें न उलझें
रोज़ एक सपना बुनें
रोज़ उसे तोड़ दें
कुछ इरादे करें बहुत से वादे भी
रोज़ ज़िन्दगी से जूझें लड़ें
फिर हत्यार फ़ेंक उसीकी बांहों में सो रहें
कुछ काम रोज़ शुरू करें
रोज़ अधूरा छोड़ दें
फिर अधूरे सबकी गठरी बांध दरिया में बहा दें
सब कुछ ख़त्म करके भी
कुछ तो बाक़ी रह जाता है हर रोज़
रोज़ दिन के जलने से रात के बुझने तक
रोज़ दिन के जलने से रात के बुझने तक
कुछ अधखुले दरवाज़ों पर अनकही दस्तकें
रोज़ क़दमों की आहट की आस
जो न टूटे न बिखरे
कुछ परिंदो के सफर के अफ़साने
रोज़ परिंदो के सफर न ख़तम हों
न अफ़साने कभी भस्म हों
कुछ तुमको रोज़ भूल कर
रोज़ थोड़ा थोड़ा याद करें
यादों के आईने की धूल को थोड़ा सा साफ़ करें
कुछ आंसू बिन बहे सिमटे रहें
रोज़ एक नमी सी रहे आँखों में
एक तबस्सुम सा रहे होंठों पे
कुछ मोहब्बतें मिलें हर रोज़
रोज़ कुछ रुस्वाइयाँ भी
कुछ मिंली बेहिस सी तन्हाईयाँ भी
कुछ मसले न सुलझें न उलझें
रोज़ एक सपना बुनें
रोज़ उसे तोड़ दें
कुछ इरादे करें बहुत से वादे भी
रोज़ ज़िन्दगी से जूझें लड़ें
फिर हत्यार फ़ेंक उसीकी बांहों में सो रहें
कुछ काम रोज़ शुरू करें
रोज़ अधूरा छोड़ दें
फिर अधूरे सबकी गठरी बांध दरिया में बहा दें
सब कुछ ख़त्म करके भी
कुछ तो बाक़ी रह जाता है हर रोज़
रोज़ दिन के जलने से रात के बुझने तक
Kuch to baaqi reh jata hai har roz
Roz din ke jalne se raat ke bujhne tak
Kuch adhkhule darwazo par ankahi dastaken
Roz reh jaati hain qadmo ki aahatein
Ek aas jo toote na bikhre
Kuch parindo ke safar ke afsane
Roz parindo ke safar na khatam ho
Na afsane kabhi bhasm ho
Kuch ansoo bin bahe simte rahen
Roz ek nami si rahe ankhon me
Ek tabassum rahe hontho pe
Kuch mohabbatein milein har roz
Roz kuch ruswaiyan bhi
Kuch milin behis si tanhaiyan bhi
Kuch masle na suljhe na uljhe
Roz ek sapna bunen
Har roz usko tod den
Kuch tumko roz bhool kar
Roz thoda thoda yaad karen
Yaadon ke aaine ki dhool roz
thodasaaf karen
thodasaaf karen
Kuch iraade karen bahut se waade bhi
Roz zindagi se joojhen laden
Phir hathyar phenk usiki god me so rahen
Kuch kaam roz shuru karen
Roz adhoora chhod den
Phir adhoore sabki gathri bandh darya me baha den
Sab kuch khatam karke bhi
Kuch to baaqi reh jata hai har roz
Roz din ke jalne se raat ke bujhne tak
p.s. Any similarity of the title with any book (by Kazuo Ishiguro,1989)
Or movie (1993) is purely incidental.
Or movie (1993) is purely incidental.